हिंदी दिवस पर सभी पाठकों को हार्दिक बधाईयाँ! 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने यह निर्णय लिया कि हिन्दी केन्द्र सरकार की आधिकारिक भाषा होगी क्योंकि भारत में अधिकतर क्षेत्रों में हिन्दी भाषा बोली जाती थी इसलिए हिन्दी को राजभाषा बनाने का निर्णय लिया और इसी निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिंदी को प्रत्येक क्षेत्र में प्रसारित करने के लिये वर्ष 1953 से पूरे भारत में 14 सितम्बर को प्रतिवर्ष हिंदी-दिवस के रूप में मनाया जाता है।
हिंदी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
६० करोड़ से अधिक लोग करते हैं हिंदी का प्रयोग
१७६ विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाती है हिंदी
२० से अधिक देशों में होता है हिंदी का प्रयोग
९३% से अधिक भारतीय युवा यूट्यूब पर हिंदी में वीडियो देखते हैं
९४% दर से डिजिटल मीडिया में हिंदी सामग्री की माँग बढ़ रही है
अमेरिका के ४५ विश्वविद्यालयों में हिंदी पढाई जाती है
यह तो बात हुई हिंदी के वैश्विक होते हुए स्वरूप की पर क्या हिंदी को भारत में वह मान्यता मिल पा रही है जिसकी वह वास्तव में अधिकारी है। कदाचित नहीं। वास्तव में, आज भी हिंदीभाषी लोगों को कामकाज ढूंढने में बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है। ग्रामीण परिवेश में रहने वाले नवयुवकों को अंग्रेजी का अधिक ज्ञान न होने के कारण बहुत सारी समस्याओं से जूझना पड़ता है। हर प्रकार से कुशल होने के बाद भी यदि वे लोग अंग्रेजी ठीक से न बोल पाए तो कंपनी साक्षात्कार में उनके साथ सौतेला व्यवहार करती है। इसे बदलना होगा और अपने देश की ही भाषा के साथ यह सौतेला व्यवहार अब बंद होना चाहिए। जब तक यह सौतेला व्यवहार और हिंदीभाषी लोगों को कंपनी हीन भावना से देखना बंद नहीं करेंगी तब तक सही अर्थों में हिंदी का उत्थान संभव नहीं होगा।
इसके अतिरिक्त शिक्षा में भी हिंदी को वरीयता देनी चाहिए ताकि माँ बाप बच्चों को हिंदी पढ़ने को प्रोत्साहन दें अन्यथा हिंदी केवल हिंदी दिवस तक सिमट कर रह जाएगी। बच्चों को हिंदी उपन्यास, समाचार पत्र और लेख आदि पढ़ने को प्रेरित करें ताकि वे हिंदी के विकास में योगदान दे सकें।
इस अवसर पर प्रसिद्ध हिंदी कवि कुमार विश्वास की कविता का एक सुन्दर अंश साझा कर रहा हूँ, पढ़िए और मंत्रमुग्ध हो जाइये।
“तुम कि ज्यों भागीरथी जल
सार जीवन का कोई पल
क्षीर सागर का कमल दल
क्या अनघ उपहार दूँगा
मैं तुम्हें अधिकार दूँगा”
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