“आतंकवाद का मज़हब नहीं होता”
“वे तो भटके हुए मुसलमान हैं”
“इस्लाम में आतंक और दहशतगर्दों के लिए कोई जगह नहीं है”
“इस्लाम किसी मासूम की जान लेने के सख्त खिलाफ है”
जी हाँ, ये कुछ ऐसे वाक्य हैं जो हम लगभग हर आतंकी घटना के बात सुनते हैं, चाहे वह घटना भारत में रहने वाले मुस्लिम आतंकी करें या हमारे पड़ोसी मुल्क से आये मुस्लिम दहशतगर्द। आखिर भारत का मुसलमान नौजवान भटका हुआ क्यों है? पिछले 800 वर्षों से मुस्लिम भारत में रह रहे हैं, और हिन्दुओं ने भी उन्हें इस देश का अंग माना है क्योंकि वे जानते हैं कि भारत में रहने वाले अधिकतर मुस्लिम बाहरी नहीं है I वे तो हिन्दू ही थे जिनको अरबी आक्रांताओं ने तलवार की नोक पर मुस्लिम बनने को बाध्य किया था I शायद यही कारण था की अनेक हिंदू राजाओं ने मुसलमानों को अपनी सेना में स्थान दिया था I छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी अपनी सेना में मुस्लिमों को सम्मिलित किया हुआ था। वह जानते थे की ये लोग बाहरी नहीं बल्कि इसी देश के लोग हैं।
हिंदुओं ने इन्हे शताब्दियों से अपना माना पर दुर्भाग्य देखिये की अधिकतर मुसलमना जिहाद के नाम पर सदा से विश्वासघात करते आये हैं I जब जब आतंकी घटनाएँ होती हैं, किसी न किसी प्रकार से उनके तार भारत के मुसलमानों से जुड़े होते हैं I दुःखद तो यह है की ये लोग इस्लाम के नाम पर तो एकजुट हो जाते हैं पर जब बात भारत की एकता और अखंडता की हो तो शायद ही एकजुट होते हैं I यहाँ तक की भारत-पाकिस्तान के क्रिकेट मैच में भी बहुत बार मुसलमानों को पाकिस्तान का समर्थन करते देखा गया है I कभी ये लोग हिंदुओं पर थूकने लगते हैं तो कभी वैक्सीन की जगह खाली वैक्सीन लगा देते हैं, कभी ये लोग हिन्दू डॉक्टर पर ही हमला करते हैं और कभी आंदोलन के नाम पर तीन महीनों तक सड़क घेर कर बैठ जाते हैं I कभी संविधान की आड़ में लाउडस्पीकर पर अजान को लेकर हिंसा करते हैं I
कुल मिलाकर, भारतीय लोकतंत्र का खुल कर उपहास उड़ाते हैं और कानून व्यवस्था को धता बता देते हैं I पर वहीं जब बात इनके पवित्र स्थलों की हो तो वहां इनके साथ जानवरों जैसा व्यवहार होता है I अरबी मुस्लिम भारतीय मुस्लिमों को घृणित नजरों से देखते हैं और उन्हें दोयम दर्जे का मुसलमान मानते हैं I भारतीय उपमहाद्वीप के मुसलमानों को अरबी आज भी हिंदू ही मानते हैं, उनके साथ हर प्रकार का शोषण किया जाता है, यहाँ तक की उनके साथ मारपीट भी की जाती है I आये दिन खबर आती रहती है की भारतीय मुसलमान फलाँ खाड़ी देश में सहायता की गुहार लगा रहे हैं I पर इनके प्राण से प्यारे मक्का और मदीने वाले आकाओं के सामने न तो ये लोग कानून हाथ में ले सकते और न ही धरना प्रदर्शन और रोड पर बिस्तर लगा के सो सकते I
ऐसा इसलिए क्योंकि इनके आका लोग वहां शरिया के अनुसार प्यार बाँटते हैं I जो मुसलमान हिन्दू बहुल वाले देश भारत में 14 % होने के बाद भी लाउडस्पीकर बजवाने पर अड़ जाते हैं, वे ही लोग सऊदी अरब जैसे इस्लामिक देशो में जाकर भीगी बिल्ली बन जाते हैं और शेख लोगो का मल मूत्र साफ़ करते फिरते हैं I अभी कुछ दिनों पहले ही वहां कानून बना है की लाउडस्पीकर की आवाज कम रखी जाये ताकि पास पड़ोस के लोग परेशान न हो I पर दूसरी तरफ जब कोई हिन्दू लाउडस्पीकर हटाने या आवाज कम करने को लेकर कहता है तो संविधान खतरे में आ जाता है, इस्लाम खतरे में आ जाता है I हिन्दू बहुल देश होने के बाद भी मंदिरों को तुड़वाना भारत के मुसलमानों को गर्व की बात लगती है, वे ही लोग सऊदी अरब जैसे कट्टर मुस्लिम देश में मस्जिद और मजार तोड़ कर बनाये गए सड़क पर चू तक नहीं बोल पाते I
मिला जुला कर भारतीय मुसलमान यह जानते हैं कि धर्मनिरपेक्षता की आड़ लेकर वे लोग भारतीय कानून के साथ जितना खेल सकते हैं उतना तो इस्लामिक देशों में भी नहीं खेल सकते I भारतीय मुसलमानों को भारत में इतनी सुख सुविधा मिलने के बाद भी हिन्दू में केवल काफिर ही दिखता है I ऐसा इसलिए क्योंकि सैकड़ों वर्ष के हिंदुओं के सान्निध्य के बाद भी मुसलमान ग़ज़वा-ए-हिंद के लिए लड़ रहे हैं। बीते कुछ वर्षों में यह पाया गया है की भारत के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से बहुत से मुस्लिम युवक ISIS में भर्ती होकर ग़ज़वा-ए-हिंद के लिए कार्य करना चाहते हैं। ग़ज़वा-ए-हिन्द हर मुस्लिम कट्टरपंथी का सपना है जिसके अंतर्गत वे भारत पर इस्लामिक हुकूमत कायम करने के बाद पूरी दुनिया पर इस्लाम का झंडा फहराना चाहते हैं। अपने इस सपने को पूर्ण रूप देने के लिए वे जिहाद के भिन्न भिन्न तरीकों का प्रयोग कर रहे हैं, जैसे जमीन जिहाद, लव जिहाद, जनसंख्या जिहाद, और अन्य बहुत प्रकार के जिहाद।
वहीं एक साधारण हिंदू इन सब खतरों से अनजान आज भी मुसलमानों के साथ मित्रवत रहता है I भारत की कुल आबादी का 80% होने के बाद भी हिंदुओं ने कभी स्वयं को विशेष नहीं समझा I इसके विपरीत भारत की कुल आबादी का 14% होने के बाद भी अल्पसंख्यक होने के नाम पर मुसलमान विभिन्न प्रकार के सरकारी सुविधा का लाभ उठाते हैं। इन सुविधाओं का भोग करने के बाद भी वह अल्पसंख्यक मुस्लिम भारत में पीड़ित होने का स्वांग रचता है I जब किसी प्रकार की अराजकता और देश विरोधी गतिविधियों में उनके नाम आ जाये तो वह भटका हुआ मुसलमान कहलाता है।
मुसलमान बहुसंख्यक हिंदुओं के बीच अलग-थलग न अनुभव करें, इसके लिए हिन्दुओं ने धर्मनिरपेक्षता की राह पकड़ ली, भले ही मुसलमानों ने अपने मज़हबी कट्टरता में कोई बदलाव न करा हो I अब इससे हुआ यह की मुसलमान न तो अपनी जड़े भूला और न ही अपना लक्ष्य, पर हिन्दू धर्मनिरपेक्षता की अफीम चाट कर धीरे धीरे अपनी जड़ों को भूल गया I गीता ज्ञान भूल गया और “अहिंसा परमो धर्म:, धर्म हिंसा तथैव च:” भूल गया l
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