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Shabari Seva Staff

कश्मीर का भविष्य कैसा रहने वाला है?


बीते कुछ दिनों से कश्मीर को लेकर अटकलों का माहौल गर्म था, कुछ लोग तो यहाँ तक कहने लगे थे की पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानि PoK को भारत में लाने की योजना तैयार की जा रही है। हालाँकि, 24 जून को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाये गए बैठक में यह स्पष्ट कर दिया गया कि ऐसा कुछ भी नहीं होने जा रहा, कम से कम अभी के लिए। मीडिया के गलियारों में यह फुसफुसाहट बीते कुछ सप्ताह से बनी हुई थी और उनकी यह फुसफुसाहट तब और बढ़ गई जब कश्मीर घाटी में 30,000 अतिरिक्त बल की तैनाती की गई। हालाँकि कुछ ऐसी ही घटना दो वर्ष पूर्व अनुच्छेद 370 और 35A के हटने से ठीक पूर्व भी घटी थी। तब भी इसी प्रकार अतिरिक्त बल की तैनाती की गई थी।


हालाँकि अभी जो अतिरिक्त बल दिखाई दिए हैं वे बंगाल चुनाव में तैनात थे और अब पुनः कश्मीर की और लौट आये हैं। अर्द्धसैनिक बल की 200 कंपनियों में से 100 की वापसी हो चुकी है और बाकि भी धीरे धीरे आ रहे हैं। तो ऐसे में किसी प्रकार की शंका पालना अनुचित होगा। कल हुई गुपकार गैंग के साथ बैठक में मोदी जी ने जो महत्वपूर्ण बात की है उसके अंतर्गत कश्मीर को पूर्ण राज्य बनाने की ओर केंद्र सरकार कार्यरत हैं। इसमें सबसे पहले वहाँ परिसीमन का कार्य होगा और उसके बाद जम्मू और कश्मीर में चुनाव कराये जायेंगे। इस परिसीमन के बाद जम्मू प्रान्त में सात या आठ नए विधानसभा क्षेत्र बनने का अनुमान है। इसका पूरा लाभ भाजपा को मिल सकता है क्योंकि जम्मू हिन्दू बहुल क्षेत्र है।


कुछ लोग यह कयास लगा रहे हैं की इससे वहाँ एक हिन्दू मुख्यमंत्री बनने के आसार बढ़ेंगे। हालाँकि ऐसा तभी हो पायेगा जब जम्मू में विधानसभा सीटों को और अधिक बढ़ाया जाये। परिसीमन के बाद भी उतनी सीट नहीं हो पायेगी की हिन्दू बहुल क्षेत्र मुस्लिम बहुल कश्मीर घाटी पर भरी पड़े। अभी तो कुछ भी कहना केवल बात को बढ़ा चढ़ा कर कहने के बराबर होगा। कश्मीर सदा राजनीति के केंद्र में रहा है पर आज भी पूर्ण रूप से वहाँ सब कुछ ठीक नहीं हुआ। यह नेहरू की विफल राजनीति का एक परिचायक है जिसका दंश हम आज तक झेल रहे हैं। ऐसे में हम केवल यह कह सकते हैं की यहाँ से अब मोदी जी जो भी कदम उठाएंगे उसके दूरगामी और ऐतिहासिक परिणाम होंगे।


हालाँकि गुपकार गैंग को बैठक में बुलाने को लेकर मोदी जी की आलोचना भी की गयी। बहुत से लोग पाकिस्तान-प्रेमी गुपकार गैंग को बुलाने को लेकर सशंकित थे। वे गुपकार गैंग की नीतियों को ध्यान में रखते हुए मोदी जी के इस निर्णय के पक्ष में बिल्कुल भी नहीं थे। पिछले 75 वर्षों से मुफ़्ती और अब्दुल्लाह परिवार द्वारा पाकिस्तान के गुणगान और भारत विरोधी मनोदशा को देखते हुए लोगो का इस प्रकार का व्यवहार समझा जा सकता है। पर वहीं कुछ लोग इसे मोदी जी की किसी दूरगामी नीति का पहला कदम बता रहे हैं। अब वह दूरगामी कदम क्या हैं यह तो केवल मोदी जी ही बता सकते हैं। बात करे यदि गुपकार गैंग की तो नेशनल कांफ्रेंस के नेता ओमर अब्दुल्लाह ने एक बार फिर से पाकिस्तान से बात करने की अपने पुराने राग को अलापा। पीडीपी की महबूबा मुफ़्ती भी कहाँ पीछे रहने वाली थी, उसने भी पाकिस्तान प्रेम झलकते हुए अपने पडोसी देश से बात करने की इच्छा जताई।


इन सबके बीच मोदी जी ने उन लोगों को बिलकुल भुला दिया जो जम्मू और कश्मीर में जमीनी स्तर पर लोगो के बीच काम कर रहे हैं। यह बात समझ से परे है कि जम्मू जो क्षेत्रफल और जनसँख्या दोनों ही परिपेक्ष्य में कश्मीर से अधिक महत्व रखता है उसे सदा कम करके क्यों आँका जाता है? हम बार बार भारत विरोधी शक्तियों से बात करने को लाचार क्यों हो जाते हैं? इन प्रश्नो का उत्तर केवल उचित समय ही दे पायेगा। वैसे अब जम्मू और कश्मीर में हम शीघ्र परिसीमन और उसके बाद चुनाव होता देख पाएंगे।


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